उसकी नाज़ुक सी कलाई को हक़ से पकड़ कर चलता हूँ, उस | हिंदी Quotes

"उसकी नाज़ुक सी कलाई को हक़ से पकड़ कर चलता हूँ, उसकी हर मनमानिया,नादानियों को स्वीकार करता हूँ, उसके चेहरे की सादगी इस कदर उतरी हैं मेरे ज़हन में कि, कुदरत की छाँव में बैठ कर उसकी सुंदरता लिखता हूँ।। ©Himanshu Jain"

 उसकी नाज़ुक सी कलाई को हक़ से पकड़ कर चलता हूँ, 
उसकी हर मनमानिया,नादानियों को स्वीकार करता हूँ, 
उसके चेहरे की सादगी इस कदर उतरी हैं मेरे ज़हन में कि, 
कुदरत की छाँव में बैठ कर उसकी सुंदरता लिखता हूँ।।

©Himanshu Jain

उसकी नाज़ुक सी कलाई को हक़ से पकड़ कर चलता हूँ, उसकी हर मनमानिया,नादानियों को स्वीकार करता हूँ, उसके चेहरे की सादगी इस कदर उतरी हैं मेरे ज़हन में कि, कुदरत की छाँव में बैठ कर उसकी सुंदरता लिखता हूँ।। ©Himanshu Jain

सुंदरता लिखता हूँ।
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