सब जान के भी बनता तू अनजान है ,
अंदर से है दुःख बहुत होंठों पे मुस्कान है,
दर्द तो बहुत दिआ है 'तूने मेरे दोस्त '
फिर भी हसी मेरी तेरी ही गुलाम है ,
जब भी याद आते बीते पल जो साथ तेरे
दिल में उठता ना जाने क्यूँ कोहराम है ,
उम्मीद न थी अब किसी से मिलने की
आया कितने दिनों बाद किसी का पैगाम है ,
लफ्ज़ ये दो लिखे हुए तेरे देख कर
आँखों में आया जैसे आँसूओं का सुनाम है ,
अच्छा तो नहीं किया तूने साथ मेरे
फिर भी दिल से तुझे मेरा आखरी सलाम है
बस आज से तुझे मेरा आखरी सलाम है.....
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