White ग़ज़ल
नही वो अब ढिलाई कर रहा है ।
लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।।
नसीबों से मिली थी जिसको बेटी
उसी को अब पराई कर रहा है ।।
जिसे दिल में छुपाकर रख्खा बरसो ।
वही अब बेवफ़ाई कर रहा है ।।
बचे दिन कितने तेरी ज़िन्दगी के ।
दिनों की क्यों गिनाई कर रहा है ।।
तरसते बच्चे हैं बनियान को अब ।
है लानत तू कमाई कर रहा है ।।
भला संसार में जो भी यहाँ है ।
उसी की क्यों खिंचाई कर रहा है ।।
खता अपनी छुपाकर वो प्रखर से ।
बहुत देखो ढिठाई कर रहा है ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल
नही वो अब ढिलाई कर रहा है ।
लगा कर मन पढ़ाई कर रहा है ।।