बात ही कुछ यूँ हुई ,
जो कभी ख्वाबों में भी ना सोचा
वो हुई,
ना जाने एक हवा के झोंके से
वो प्रकट हुई ,
काली जुल्फें यूँ लहराए,
मानो सावन की घटा छाये,
कजरारी नैना यूँ दिल पे तीर छोड़े,
मानो हो कोई शिकारी ,
कपोलों में उसके गुलाब सी लाली,
होठों पे उसके धुन निराली,
नृत्य उसका मस्त मोरनी का
स्वर उसके मानो कोयल की बोली,
अदायें उसकी बड़ी मनोहारी,
देख उस को दिल यूँ डोला,
मन मन अपने उस से आई लव यू बोला,
पर राज ये कभी उस से ना खोला ।।
;दीप:
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