कितनी दफ़ा मन में जगा तुमसे मिलू मै कितने दफ़े, कि | हिंदी विचार
"कितनी दफ़ा मन में जगा
तुमसे मिलू मै कितने दफ़े,
कितनी दफ़ा ये हो सका
तुमसे मिली मै आखिर कितने दफ़े!
हर रोज़ ये अरमान जगे
दिख जाए कहीं तू हस्ते हुए
मिलती नज़रे अब है कहा
मिलते रस्ते भी नहीं अब इक दफ़े....!!"
कितनी दफ़ा मन में जगा
तुमसे मिलू मै कितने दफ़े,
कितनी दफ़ा ये हो सका
तुमसे मिली मै आखिर कितने दफ़े!
हर रोज़ ये अरमान जगे
दिख जाए कहीं तू हस्ते हुए
मिलती नज़रे अब है कहा
मिलते रस्ते भी नहीं अब इक दफ़े....!!