कविता लिखी है ध्रुव प्रताप की
थोड़ा ध्यान दीजिये...........
ये जो लोगो के प्यार इश्क के तमाशे चलते है।
हमे समय बरबादी का खजाना लगता है।।
अपने काम मे लगे लोगो को।
फालतू लोगो द्वारा फँसाना लगता है।।
और जो लोग कहते है रात गई बात गई।
उनके गाल पर करारा तमाचा लगता है।।
हर रात इश्कबाजो की कहानियाँ लेती है नये मोड़।
पूरा दिन इश्कबाजो को बेगाना लगता है।।
इसीलिये इस कवि" प्रताप" को।
ये इश्कबाजो की दुनिया गदहो का।
मयखाना लगता है।।
©-प्रताप
#Past