मैं बैठा तीर पर ताकने नीर को... टूटे ख्वाबों को बु | हिंदी Poetry

"मैं बैठा तीर पर ताकने नीर को... टूटे ख्वाबों को बुनने को... देख रहा था में इमली की कोपलो को, लहराती उन फसलों को, बड़े से तालाब में थोड़े से पानी की लहरों... लहरों में लहराती मछलियों, तालाब के कुएं में टराते मेंढक को, पेड़ो पर कलरव करते पंछी को। सब शांत हुआ एक क्षण... इतने में बवंडर आया, संग अपने मेगा रानी लाया... ये देख पंकज बड़ा इठलाया, झूम झूम बरखा में बड़ा नहाया, मेने भी खुद को एक पेड़ के नीचे छुपाया... टूटे ख्वाबों को समेट कर फिर घर को आया था।। ©sampankaj 64"

 मैं बैठा तीर पर ताकने नीर को...
टूटे ख्वाबों को बुनने को...
देख रहा था में इमली की कोपलो को,
लहराती उन फसलों को,
बड़े से तालाब में थोड़े से पानी की लहरों...
लहरों में लहराती मछलियों,
तालाब के कुएं में टराते मेंढक को,
पेड़ो पर कलरव करते पंछी को।

सब शांत हुआ एक क्षण...
इतने में बवंडर आया,
संग अपने मेगा रानी लाया...
ये देख पंकज बड़ा इठलाया, 
झूम झूम बरखा में बड़ा नहाया,
मेने भी खुद को एक पेड़ के नीचे छुपाया...
टूटे ख्वाबों को समेट कर फिर घर को आया था।।

©sampankaj 64

मैं बैठा तीर पर ताकने नीर को... टूटे ख्वाबों को बुनने को... देख रहा था में इमली की कोपलो को, लहराती उन फसलों को, बड़े से तालाब में थोड़े से पानी की लहरों... लहरों में लहराती मछलियों, तालाब के कुएं में टराते मेंढक को, पेड़ो पर कलरव करते पंछी को। सब शांत हुआ एक क्षण... इतने में बवंडर आया, संग अपने मेगा रानी लाया... ये देख पंकज बड़ा इठलाया, झूम झूम बरखा में बड़ा नहाया, मेने भी खुद को एक पेड़ के नीचे छुपाया... टूटे ख्वाबों को समेट कर फिर घर को आया था।। ©sampankaj 64

#ख्वाब और #बारिश
#Nojoto

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