सम्पूर्ण विश्व भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक आभा, | हिंदी विचार

"सम्पूर्ण विश्व भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक आभा, दिव्य जीवन मूल्यों, योग, आयुर्वेद, सूचना संचार की अप्रतिम तकनीक और आर्थिक प्रगति से चकित है। भारत की सुदृढ़ लोकतान्त्रिक व्यवस्था और प्राच्य-आर्ष विद्या अर्थात् अध्यात्म सम्पदा की स्वीकार्यता व अनुसरण का भाव नित्य गतिमान है। परोक्ष अपरोक्ष रूप से भारत अब सम्पूर्ण विश्व को दिशा व दृष्टि प्रदान करने के लिए सक्षम है। "स्वतंत्रता दिवस" की अनेक शुभकामनाएँ ©मनोज कुमार झा "मनु""

 सम्पूर्ण विश्व भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक आभा, दिव्य जीवन मूल्यों, योग, आयुर्वेद, सूचना संचार की अप्रतिम तकनीक और आर्थिक प्रगति से चकित है।
 भारत की सुदृढ़ लोकतान्त्रिक व्यवस्था और प्राच्य-आर्ष विद्या अर्थात् अध्यात्म सम्पदा की स्वीकार्यता व अनुसरण का भाव नित्य गतिमान है।
 परोक्ष अपरोक्ष रूप से भारत अब सम्पूर्ण विश्व को दिशा व दृष्टि प्रदान करने के लिए सक्षम है।

"स्वतंत्रता दिवस" की अनेक शुभकामनाएँ

©मनोज कुमार झा "मनु"

सम्पूर्ण विश्व भारत की सांस्कृतिक आध्यात्मिक आभा, दिव्य जीवन मूल्यों, योग, आयुर्वेद, सूचना संचार की अप्रतिम तकनीक और आर्थिक प्रगति से चकित है। भारत की सुदृढ़ लोकतान्त्रिक व्यवस्था और प्राच्य-आर्ष विद्या अर्थात् अध्यात्म सम्पदा की स्वीकार्यता व अनुसरण का भाव नित्य गतिमान है। परोक्ष अपरोक्ष रूप से भारत अब सम्पूर्ण विश्व को दिशा व दृष्टि प्रदान करने के लिए सक्षम है। "स्वतंत्रता दिवस" की अनेक शुभकामनाएँ ©मनोज कुमार झा "मनु"

जय भारत

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