White पिता, एक मात्र शब्द नहीं,
बच्चे का पुरा संसार है
पिता के होने से,
माँ भी बेफिक्र है
बच्चे संस्कार वाले हो
या सत्यानाश करने वाले हो
सब कुछ पिता पे निर्भर है
पिता वो दीपक के भाँति है,
जो खुद अंधेरे तले रह कर,
अपने बच्चो के संसार को प्रज्वलित करते हैं
कहते हैं उनकी फटकार हो या पिटाई
जब पड़े तभी बच्चे निखरते हैं
पर आज कल हम बच्चे कहा ये समझते हैं
द्वेष रख फटकार का बुढ़ापे में उन्हे सताते हैं
उसी पिता को जो सुखी रोटी खा हमें पिज़्ज़ा खिलाते हैं
जिस पिता के छत्री में हम शानों शौकत से जीते थे
उन पिता को जरूरत पड़ने पर बेबस लाचार बनाते हैं
क्या पता उस उपरवाले को कैसे मुह दिखाएंगे
जब खुद ऐशो आराम में जीकर पिता को भिखारी बताते हैं
©Aakriti Rai
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