कैसे बांध लूं ,मैं उसकी मोहब्बत
किसी दिन के अहसास से...
अभी ही तो ,वो गुजरी है
हवाओं संग, मेरे यही पास से....
मेरी बस तमन्ना-ए-आरजू नहीं
पूरी रब की इबादत है वो...
माना बेगाना हूं जहां में,
पर इस बेगाने की चाहत है वो...
कभी छनकती कभी खनकती
उसी पायल की खनखनाहट है वो...
ना होकर भी,उसके होने की आहट है वो....
हर लम्हा जी लेता हूं मैं
उसके जुल्फों के हमजोली में...
हर जख्म को धो लेता हूं मैं
उसकी उसी मीठी बोली में...
शायद डर उसे भी सताता है
तभी हर दफा मिलना नागवार सा होता है
बस दिल का अहसास है जनाब!!
वर्ना सुना है मोहब्बत के मायने
बदलने लगे हैं जमाने में...
पर मैं वही जाम लिए बैठा हूं
किसी का प्यार कमाने में...
हम भी यह दिन तुम्हारे नाम करते हैं
तुम रहो खुशियों के आलिंगन में
ऐसा जरा अभिमान करते हैं...
मैं बनूं शूल भले पथ में तुम्हारे फूल हो...
झुकूं मैं नमन को पर दुआएं तुम्हारे कुबूल हो...
मिलूं भले अपनों से पर उनका तुम मूल हो...
हंस के ही यूं माफ करो जो खता या भूल हो...
happy valentines day...my love💓💕💓💕