कई सवालों से मुह मोड़ा मैंने कई इलजामो से भागी-सी

"कई सवालों से मुह मोड़ा मैंने कई इलजामो से भागी-सी थी मै खुश करना चाहा हर इंशान को पर दुखी आज मेरी परछाई हो गई(परछाई खुदसे) इस भीड़ मे मैं कही अकेली हो गई गैरो से तो वाक़िफ़ थी मै दर्द तो आज अपने ही आप से मिलकर हुआ ©Anushka Vishwakarma"

 कई सवालों से मुह मोड़ा मैंने
कई इलजामो से भागी-सी थी मै
खुश करना चाहा हर इंशान को
पर दुखी आज मेरी परछाई हो गई(परछाई खुदसे) 
इस भीड़ मे मैं कही अकेली हो गई

गैरो से तो वाक़िफ़ थी मै
दर्द तो आज 
अपने ही आप से मिलकर हुआ

©Anushka Vishwakarma

कई सवालों से मुह मोड़ा मैंने कई इलजामो से भागी-सी थी मै खुश करना चाहा हर इंशान को पर दुखी आज मेरी परछाई हो गई(परछाई खुदसे) इस भीड़ मे मैं कही अकेली हो गई गैरो से तो वाक़िफ़ थी मै दर्द तो आज अपने ही आप से मिलकर हुआ ©Anushka Vishwakarma

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