महबूब महबूब नही रहे वो आजकल नजर हम पे रखने लगे हैं,,
हम दीदार ऐ चश्म से क्या देखें वो हमारी संगत से दुखने लगे हैं,,
पहले जो दरवाजों की चोखटो पे घंटो खड़े रहते थे आजकल वो हमसे बचने लगे हैं,,
कोई और उनकी मुलाकात में शामिल हुआ है और वो ही उसे जचने लगे हैं।।
राहुल छतरपुरिया
#महबूब