कैसे झुक जाऊं ए जिंदगी तेरे आगे, अभी जहान झुकाना | हिंदी Shayari

""कैसे झुक जाऊं ए जिंदगी तेरे आगे, अभी जहान झुकाना हैं, दरिया के संग बहते बहते सागर तक जाना हैं, और ये चिगरियां कैसे रोकेगी अग्नि के शोले को अभी तो अंगार पर चढ़कर जग को लोहा मनवाना हैं " ©uday pratap mandal"

 "कैसे झुक जाऊं ए जिंदगी तेरे आगे,
अभी जहान झुकाना हैं,
दरिया के संग बहते बहते
सागर तक जाना हैं,
और ये चिगरियां कैसे रोकेगी
अग्नि के शोले को
अभी तो अंगार पर चढ़कर
जग को लोहा मनवाना हैं "

©uday pratap mandal

"कैसे झुक जाऊं ए जिंदगी तेरे आगे, अभी जहान झुकाना हैं, दरिया के संग बहते बहते सागर तक जाना हैं, और ये चिगरियां कैसे रोकेगी अग्नि के शोले को अभी तो अंगार पर चढ़कर जग को लोहा मनवाना हैं " ©uday pratap mandal

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