ज़रा थक सा गया हूँ,
अब इसलिए बोलना छोड़ दिया है |
लेकिन मतलब इसका ये नहीं,
कि मैंने रिश्तों को निभाना छोड़ दिया है |
रिश्तों में अक्सर,
अजीब सी दूरियाँ बढ़ जाती हैं |
लेकिन मतलब इसका ये नहीं,
कि मैंने अपनों से अपनापन छोड़ दिया है |
खुद को अकेला महसूस करता हूँ;
हाँ, दुनिया भले ही बहुत बड़ी है |
पर मतलब इसका ये नहीं,
मैंने सपने सजाना छोड़ दिया है |
अपनों को याद भी करता हूँ,
उनकी परवाह भी करता हूँ |
हाँ, पर ये भी सच है;
मैंने बताना और जताना छोड़ दिया है |
©Chaitanya Srivastava
ज़रा थक सा गया हूँ,
अब इसलिए बोलना छोड़ दिया है |
लेकिन मतलब इसका ये नहीं,
कि मैंने रिश्तों को निभाना छोड़ दिया है |
रिश्तों में अक्सर,
अजीब सी दूरियाँ बढ़ जाती हैं |