आंखे से मोहब्बत पढ़ने वाले नजरे झुका कर निकल गए
जिसके कदमों की आहट से धड़कती दी धड़कन ,
वो सामने ओर हम बिन सुने चल दिए
ओर ये अधूरी कहानियां फिर कौन सुनता
सच्ची मोहब्बत को रूह से कोन बुनता
कोई किसी के लिए खुद को ना खोता
अगर बिछड़ना कुदरत का नियम ना होता ।।
©Meri Kalam
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