कि झूमा करती थी जिन शाखों पे अमराई, अब उनके दिन द | हिंदी शायरी

""कि झूमा करती थी जिन शाखों पे अमराई, अब उनके दिन दरख्तो से बिछड़ने को आ गए। दिन, महीने, साल गुजरे होंगे जिन के गले लग के, ली है करवट बिछड़न ने और सितम ने ली अंगड़ाई की वो दिन तासो की तरह एक दिन बिखरने को आ गए। ©Nisha Rai✍️"

 "कि झूमा करती थी जिन शाखों पे अमराई,
अब उनके दिन दरख्तो से बिछड़ने को आ गए।

दिन, महीने, साल गुजरे होंगे जिन के गले लग के,

ली है करवट बिछड़न ने और सितम ने ली अंगड़ाई
की वो दिन तासो की तरह एक दिन बिखरने को आ गए।

©Nisha Rai✍️

"कि झूमा करती थी जिन शाखों पे अमराई, अब उनके दिन दरख्तो से बिछड़ने को आ गए। दिन, महीने, साल गुजरे होंगे जिन के गले लग के, ली है करवट बिछड़न ने और सितम ने ली अंगड़ाई की वो दिन तासो की तरह एक दिन बिखरने को आ गए। ©Nisha Rai✍️

#प्यार_का_एहसास #एहसास #हिंदी_शायरी #मेरे_अल्फाज #दिल_ए_नादान

People who shared love close

More like this

Trending Topic