White कलुषित हो ,हृदय जब तब,बुराई ख़ाक ना होती। जल | हिंदी Poetry

"White कलुषित हो ,हृदय जब तब,बुराई ख़ाक ना होती। जला लो,फूँक दो रावण,बुराई राख ना होती। जगत जब बन, गया वैरी,बता तब कौन है रक्षक- मिटे जब भावना वैरी,भलाई तब धाक ही होती। ©Bharat Bhushan pathak"

 White कलुषित हो ,हृदय जब तब,बुराई ख़ाक ना होती।
जला लो,फूँक दो रावण,बुराई राख ना होती।
जगत जब बन, गया वैरी,बता तब कौन है रक्षक-
मिटे जब भावना वैरी,भलाई तब धाक ही होती।

©Bharat Bhushan pathak

White कलुषित हो ,हृदय जब तब,बुराई ख़ाक ना होती। जला लो,फूँक दो रावण,बुराई राख ना होती। जगत जब बन, गया वैरी,बता तब कौन है रक्षक- मिटे जब भावना वैरी,भलाई तब धाक ही होती। ©Bharat Bhushan pathak

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