White कलुषित हो ,हृदय जब तब,बुराई ख़ाक ना होती।
जला लो,फूँक दो रावण,बुराई राख ना होती।
जगत जब बन, गया वैरी,बता तब कौन है रक्षक-
मिटे जब भावना वैरी,भलाई तब धाक ही होती।
©Bharat Bhushan pathak
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