बड़ी लंबी रातें है इन्हें फिर से डूब जाने दो रफ् | हिंदी Poetry

"बड़ी लंबी रातें है इन्हें फिर से डूब जाने दो रफ्त दिल की खाक है इन्हें मर्ज मे मिल जाने दो सौदागरों के घर का अब ठिकाना भूल जाने दो बिखरे जो दिल कतरा - कतरा खामोशी को काट खाने दो बख्तावर है जो निःशब्द है तेरे मैखाने मे विरक्त है बसंत मे एक बार उसे भी पतझर का स्वाद चख जाने दो तितर बितर सदमो से तपिश को महसूस करने दो उभरें जो ज्वाला कलेजे मे घुटती सासों मे उसे मर जाने दो.. ©चाँदनी"

 बड़ी लंबी रातें है इन्हें फिर से 
डूब जाने दो

रफ्त दिल की खाक है इन्हें मर्ज
 मे मिल जाने दो

सौदागरों के घर का अब ठिकाना
भूल जाने दो 

बिखरे जो दिल कतरा - कतरा खामोशी
 को काट खाने दो

बख्तावर है जो निःशब्द है तेरे मैखाने मे
विरक्त है 

बसंत मे एक बार उसे भी पतझर का
स्वाद चख जाने दो

तितर बितर सदमो से तपिश को
महसूस करने दो

उभरें जो ज्वाला कलेजे मे घुटती
सासों मे उसे मर जाने दो..

©चाँदनी

बड़ी लंबी रातें है इन्हें फिर से डूब जाने दो रफ्त दिल की खाक है इन्हें मर्ज मे मिल जाने दो सौदागरों के घर का अब ठिकाना भूल जाने दो बिखरे जो दिल कतरा - कतरा खामोशी को काट खाने दो बख्तावर है जो निःशब्द है तेरे मैखाने मे विरक्त है बसंत मे एक बार उसे भी पतझर का स्वाद चख जाने दो तितर बितर सदमो से तपिश को महसूस करने दो उभरें जो ज्वाला कलेजे मे घुटती सासों मे उसे मर जाने दो.. ©चाँदनी

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