जुए की बाज़ी जीत गयी, जब ताश पे हक़ मेरा था, कफ़न | हिंदी Shayari Vide

"जुए की बाज़ी जीत गयी, जब ताश पे हक़ मेरा था, कफ़न उठाती कैसे वो जब लाश पे हक़ मेरा था! दम तोड़ता नहीं मैं तड़पते ही रह जाता, खंजर चलाई थी बेशक वो, पर साँस पे हक़ मेरा था!! ©Er VKB Shayar "

जुए की बाज़ी जीत गयी, जब ताश पे हक़ मेरा था, कफ़न उठाती कैसे वो जब लाश पे हक़ मेरा था! दम तोड़ता नहीं मैं तड़पते ही रह जाता, खंजर चलाई थी बेशक वो, पर साँस पे हक़ मेरा था!! ©Er VKB Shayar

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जुए की बाज़ी जीत गयी, जब ताश पे हक़ मेरा था,
कफ़न उठाती कैसे वो जब लाश पे हक़ मेरा था!
दम तोड़ता नहीं मैं तड़पते ही रह जाता,
खंजर चलाई थी बेशक वो, पर साँस पे हक़ मेरा था!!
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