तलब खतम कहा होनी है, दिदार ए यार कि, ‘ये वो शय | हिंदी शायरी

"तलब खतम कहा होनी है, दिदार ए यार कि, ‘ये वो शय है जो बढती है‘ 💗"

 तलब खतम कहा होनी है, दिदार ए  यार कि,
  ‘ये वो शय है जो बढती है‘ 💗

तलब खतम कहा होनी है, दिदार ए यार कि, ‘ये वो शय है जो बढती है‘ 💗

तलब खतम कहा होनी है, दिदार ए यार कि,
‘ये वो शय है जो बढती है‘ 💗

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