#यारी सुबह से शाम होते ही मैंने सूरज को ढलते देखा है
गहरी चोट देने के बाद लोगों को मरहम लगाते देखा है
दिल टूटने के बाद भी किसी को मुस्कुराते देखा है
तेज़ रफ़्तार वालो को भी भीड़ में रुकते देखा है
अहंकार होने के बाद भी मैंने लोगो को
खुदा के आगे झुकते देखा है
खाली कुँए को भी पानी के लिए तरसते देखा है
बिन बारिश के भी बादल को गरजते देखा है
शांत मौसम में भी बारिश को बरसते देखा है
लाख ठोकर खाने के बाद भी मैंने खुद को सम्भलते देखा है
तुम बात करते हो वक़्त की
अरे मैंने तो स्कूल के बाद अपनी बेस्ट फ्रेंड को बदलते देखा है
©best psychiatrist
@Priya Rawat