दुनिया के किसी कोने में
होगी जब भी
बारिश
मैं तुम्हें याद आऊंगी
और
मुझे तुम
क्योंकि बंदे हैं एक दूसरे
से तेरे मेरे जज्बात
और जब मैं याद आऊंगी
तुम बातें भी मेरी ही
करोगे
किसी से
और अकेले बैठे
बहुत कुछ सोचोगे
मुस्कुराओ गे
क्यों है ना
यह जादूगरी....
कुछ मीठा और कुछ खट्टे एहसास
तेरे मेरे दरमियां।
याद रखना!
दुनिया के किसी भी कोने में होगी
जब भी बारिश
मैं तुम्हें याद आऊंगी
और
मुझे तुम।
रंजीत कौर सावी
12.00 पी.एम.
29. जुलाई 2021
©Ranjit kaur savi
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