याद का यह साल था सावन मिलाकर
यह कमाई है हमारी कुल मिलाकर ।
लग गई है अब नज़र हमको जहां की
हंस दिए थे हम कभी जो खिल खिलाकर ।
आप काबिल ही नहीं है इश्क़ के यूं
देख रक्खा है हमीं ने दिल मिलाकर ।
अब नहीं होगा कभी भी इश्क़ उसको
शख़्स वो हमसे गया है दिल लगाकर ।
एक दिन वो जा रही थी दूर हमसे
होश में आ ही गए हम तिल-मिलाकर ।
©Ankit Tripathi
Yaad Ka Yah Saal
By: Ankit Tripathi
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