White जगमगाता हुआ सुखन हमारा है।
मेरे लहू का बस कर्ज उतारा है ।।
करो सियासत भले मुल्क में तुम।
दिलों पर मगर हुकूमत हमारा है।।
ये जो महफिल में तेरी रौशनी है।
मेरी उंगलियों का बस इशारा है।।
ये गंदी परवरिश का रौब है बस।
बद ख्यालों का तुम पर सहारा है।।
लौट कर आएगा इंकलाब "सानी"।
अभी गर्दिश में कहाँ सितारा है।।
©Saani
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