वफ़ा की आस करते हो "
समझ के भोली ओ सादगी की मूरत,
अपनी तक़दीर मोहब्बत की पाक सूरत,
उसके कदमों में रख के अपने दिलो जान,
ज़िन्दगी में सिर्फ़,बस वफ़ा की आस करते हो।
किसी को देके दगा , तुमसे वफ़ा करती है
ना काबले यकीन, अपनी जात से मुकरती है।
जिसकी दस्तान ए इश्क़, भरी है बे वफ़ाई से,
उसपे यकीन करके क्यों ख़ुद पे ज़ुल्म करते हो।
सोचा नहीं कभी,जो अपने मां-बाप की ना हुई
तुम्हारी क्या होगी, क्यों मुफ़्त में बे मौत मरते हो।
हां ,इसमें कोई बुराई नहीं, अगर जान बूझके,
भूख मिटाने के लिए, मोहब्बत का ढोंग करते हो।
©Anuj Ray
# वफ़ा की आस करते हो"