White अभी सफ़र में ही रह जारी ये फरमान हो गया
घर से क्या निकला की सुना मेरा मकान हो गया
किसी पर बोझ बनने से अच्छा हैं गुमनाम हो जा
अब किसी को रोटी खिलाना भी अहसान हो गया
लहज़े में प्यार और किरदार में यूं सादगी रखे हैं
क्यूं कहते हो साहब की "मारी" आसमान हो गया
समंदर गर हो गए तो हम दरिया किस काम के
हमें कतरा देख तो कश्तियों को गुमान हो गया
हम जहां कहीं भी रहेगे तुम मेरी यादों में रहोगे
क्या हुआ जो फासला हमारे दरमियान हो गया
©ML Suryavanshi
#लाइफ #लेशंस