बाहर के अंधेरे दृष्टिगोचर होते ही प्रकाश की व्यवस् | हिंदी विचार

"बाहर के अंधेरे दृष्टिगोचर होते ही प्रकाश की व्यवस्था कर लेते हैं भीतर के अंधेरों का आभास भी नहीं होन देते जातते है स्वयं भी अंधेरे की हानी मगर हृदय में स्थान देते हैं पालते हैं बैर मन में निर्बाध दूसरे को दोषी मान लेते हैं बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 बाहर के अंधेरे दृष्टिगोचर होते ही प्रकाश की व्यवस्था कर लेते हैं 
भीतर के अंधेरों का आभास भी नहीं होन देते 
जातते है स्वयं भी अंधेरे की हानी मगर हृदय में स्थान देते हैं 
पालते हैं बैर मन में निर्बाध  दूसरे को दोषी मान लेते हैं 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

बाहर के अंधेरे दृष्टिगोचर होते ही प्रकाश की व्यवस्था कर लेते हैं भीतर के अंधेरों का आभास भी नहीं होन देते जातते है स्वयं भी अंधेरे की हानी मगर हृदय में स्थान देते हैं पालते हैं बैर मन में निर्बाध दूसरे को दोषी मान लेते हैं बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

Dr. uvsays वंदना .... @Vikram vicky 3.0 @R Ojha @Sharma_N पूजा सक्सेना ‘पलक’

People who shared love close

More like this

Trending Topic