जब हमारी मंज़िल एक है तो हमारे रास्ते क्यों नहीं मि | हिंदी विचार

"जब हमारी मंज़िल एक है तो हमारे रास्ते क्यों नहीं मिलते? तुम्हारे बिना जीवन हथेली पे पिघलती बर्फ़ जैसा लगता है जिसको मैं चाह कर भी पिघलने से नहीं रोक सकता टपकती हैं बर्फ़ और ग़ायब होता हूँ मैं कहने को कुछ इक्कीस महीने हुए हैं जिसमें दूसरी बहार इस सर्दी के बाद आएगी जा तो मैं भी सकता था पहाड़ो पर औरो की तरह अपना ग़म वहाँ छोड़ कर आ सकता था पर अफ़सोस तुम आबशारों को बंजर और सूखा छोड़ कर गये हो मैं चाहूँ भी तो छोटी सी बरसात से तुम्हारी महक नहीं जगा सकता इस दूर वीराने में अँधेरा बढ़ता जा रहा है और सर्द हवायें मुझे अपने मे मिलाना चाहती हैं मुझें डर हैं कि मैं कहीं खो ना जाऊँ इसलिए हमारी राहों को मिलना ज़रुरी हैं ख़ैर ये फ़ैसला भी तुम्हारे हक़ में छोड़ता हूँ तुम बताओ मेरे बिना कैसे हो? उज्ज्वल ©Ujjwal Sharma"

 जब हमारी मंज़िल एक है तो
हमारे रास्ते क्यों नहीं मिलते?
तुम्हारे बिना जीवन
हथेली पे पिघलती बर्फ़ जैसा लगता है
जिसको मैं चाह कर भी
पिघलने से नहीं रोक सकता
टपकती हैं बर्फ़
और ग़ायब होता हूँ मैं
कहने को कुछ इक्कीस महीने हुए हैं
जिसमें दूसरी बहार इस सर्दी के बाद आएगी

जा तो मैं भी सकता था
पहाड़ो पर 
औरो की तरह अपना ग़म 
वहाँ छोड़ कर आ सकता था
पर अफ़सोस तुम आबशारों को बंजर
और सूखा छोड़ कर गये हो
मैं चाहूँ भी तो छोटी सी बरसात से
तुम्हारी महक नहीं जगा सकता

इस दूर वीराने में अँधेरा बढ़ता जा रहा है
और सर्द हवायें मुझे अपने मे
मिलाना चाहती हैं
मुझें डर हैं कि मैं कहीं खो ना जाऊँ
इसलिए हमारी राहों को मिलना ज़रुरी हैं
ख़ैर ये फ़ैसला भी तुम्हारे हक़ में छोड़ता हूँ
तुम बताओ
मेरे बिना कैसे हो?

उज्ज्वल

©Ujjwal Sharma

जब हमारी मंज़िल एक है तो हमारे रास्ते क्यों नहीं मिलते? तुम्हारे बिना जीवन हथेली पे पिघलती बर्फ़ जैसा लगता है जिसको मैं चाह कर भी पिघलने से नहीं रोक सकता टपकती हैं बर्फ़ और ग़ायब होता हूँ मैं कहने को कुछ इक्कीस महीने हुए हैं जिसमें दूसरी बहार इस सर्दी के बाद आएगी जा तो मैं भी सकता था पहाड़ो पर औरो की तरह अपना ग़म वहाँ छोड़ कर आ सकता था पर अफ़सोस तुम आबशारों को बंजर और सूखा छोड़ कर गये हो मैं चाहूँ भी तो छोटी सी बरसात से तुम्हारी महक नहीं जगा सकता इस दूर वीराने में अँधेरा बढ़ता जा रहा है और सर्द हवायें मुझे अपने मे मिलाना चाहती हैं मुझें डर हैं कि मैं कहीं खो ना जाऊँ इसलिए हमारी राहों को मिलना ज़रुरी हैं ख़ैर ये फ़ैसला भी तुम्हारे हक़ में छोड़ता हूँ तुम बताओ मेरे बिना कैसे हो? उज्ज्वल ©Ujjwal Sharma

मंज़िल

जब हमारी मंज़िल एक है तो
हमारे रास्ते क्यों नहीं मिलते?
तुम्हारे बिना जीवन
हथेली पे पिघलती बर्फ़ जैसा लगता है
जिसको मैं चाह कर भी
पिघलने से नहीं रोक सकता

People who shared love close

More like this

Trending Topic