तुम गंगा की पावन काया । तुम अमृत का मधुजल हो।। तुम

"तुम गंगा की पावन काया । तुम अमृत का मधुजल हो।। तुम हृदय प्रफुल्लित माया। तुम जीवन की मुसलसल हो।। तुम कुशुमाशव सी मीठी ख्वाईश। तुम हकिकत-ए गलगल हो।। तुम ही मेरी इश्क़-ए नुमाइश तुम ही दिलो की मक्तल हो।। कलम-आशीष सोनी"

 तुम गंगा की पावन काया ।
तुम अमृत का मधुजल हो।।
तुम हृदय प्रफुल्लित माया।
तुम जीवन की मुसलसल  हो।।
तुम कुशुमाशव सी मीठी ख्वाईश।
तुम हकिकत-ए गलगल हो।।
तुम ही मेरी इश्क़-ए नुमाइश
तुम ही दिलो की मक्तल  हो।।
                    
               कलम-आशीष सोनी

तुम गंगा की पावन काया । तुम अमृत का मधुजल हो।। तुम हृदय प्रफुल्लित माया। तुम जीवन की मुसलसल हो।। तुम कुशुमाशव सी मीठी ख्वाईश। तुम हकिकत-ए गलगल हो।। तुम ही मेरी इश्क़-ए नुमाइश तुम ही दिलो की मक्तल हो।। कलम-आशीष सोनी

ख्वाईश❤

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