"2122 2122
गाठें सुलझानी नहीं हैं
लड्डू गुड़धानी नहीं हैं
इश्क़ में निकलें हैं तेरे
अश्रु यह पानी नहीं हैं
दिल में भारत रखते हैं हम
शक्लें हिंदुस्तानी नहीं हैं
हम हैं तिब्बत के निवासी
चीनी जापानी नहीं हैं
बातें वो खुद समझें मेरी
मुझ को मनवानी नहीं हैं
मुझ को क्यों लगता है ऐसा
राहें अनजानी नहीं हैं
जितना है कुलदीप उतने
लोग अभिमानी नहीं हैं
©Kuldeep Guraiya Tigra"