अब सपने नहीं आते
आती हैं तो बस कुछ यादें
अब हिचकियाँ नहीं आती
आती हैं तो बस कुछ बातें
अब मिलने को वो पलक्षिण नहीं आते
आती हैं तो बस गुजरें लम्हें...
कितना कुछ बदल गया
हैं न?
बस एक तुम्हारे चले जाने से...
कुछ कागज पर लिख देना
और दूसरे ही पल
मरोड़ कर गुस्से में फेंक देना
हां ,यही करते थे हम...
पीछे मुड़कर देखना
कही तुमने मुड़कर मुझ देखा या नहीं?
कितना कुछ सह लिया
बस ,तुम्हारे जाने के बाद...
कुछ कहा था तुमनें
हौलें से
मेरे कान बजे थे या सचमुच
कुछ कह ही दिया था तुमने?...
चिकोटी काटना
फिर खुद ही मांफी मांगना
हां,कुछ तो बदला हैं
एक तुम्हारे चले जाने से....
खिड़की से जो तुमने आवाज दी थी
पलट कर मेरा फिर लौटना
शायद कुछ बातें अधूरी रह गई थी
हां,हां,याद आया
आज भी वो बातें अधूरी ही हैं..
बस ,अब पूरी कैसे होगीं
जो तुम नहीं हो
सबकुछ बदल गया
सिर्फ एक तुम्हारे चले जाने से...।
दिल के अल्फाज़....रूद्रा की कलम से ✒
©snigdha rudra
तेरे चले जाने से.....