कुछ उजाले उतरते रहे मुझ में कुछ फूल खिलते रहे | हिंदी कविता

"कुछ उजाले उतरते रहे मुझ में कुछ फूल खिलते रहे मुझ में मैं तलाश रहा था लोग अपने से फिर कुछ अपने मरते रहे मुझ में ©Ravindra kumar"

 कुछ उजाले उतरते रहे मुझ  में
कुछ  फूल  खिलते  रहे मुझ में
मैं तलाश रहा था लोग अपने से
फिर कुछ अपने मरते रहे मुझ में

©Ravindra kumar

कुछ उजाले उतरते रहे मुझ में कुछ फूल खिलते रहे मुझ में मैं तलाश रहा था लोग अपने से फिर कुछ अपने मरते रहे मुझ में ©Ravindra kumar

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