आई सावन मास हैं, हो रही बरसात है,
सावनी फुहार देखो,सबो मन भाया है।
तन भगवा चोला हैं,मनाने चले भोला है,
भोले मन वाले सदा,भोले मन भाया है।
छम-छम नाच रहे,भोले-भोले जाप रहे,
भोले के दीवाने सभी,शम्भू मन भाया है।
कांवर ले भक्त चले,मीलों मील वो न थके,
आस्था विश्वास के दीप,मन मे जलाया है।
©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा
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