मुझे ज़रुरत नहीं झूठी तारीफों की,
बस एक सच्ची प्यारी सी मुस्कान काफ़ी है।
छोटी सी उम्र में छलावे देखे बहुत,
अभी तो मुझे बहुत जीना बाकी है।
जमाने से ठोकरें लगी जब मुझे,
तब मेरी आंखें जागीं है।
दिखावे के व्यवहार की मुझे जरूरत नहीं,
आपका दूर से मिलना ही काफ़ी है।
©Shashank Singh Kushwaha
दूर से मिलना काफी है...
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