सबसे पहले एक सामान्य भारतीय एक सामान्य इंसान जय हिंद वंदे मातरम "इंकलाब जिंदाबाद" आज की कविता एक मासूम सी लड़की पर आधारित है "मां मेरा कसूर नहीं था"| " कि शायद फिर किसी दिन इंसानियत जाग उठेगी जब किसी के दिल में सरफरोशी की आग उठेगी" "फिर यह सियासी मोरे खोजने लगेंगे आसरा जब जिंदाबाद आवाज में इंकलाब की राग उठेगी """"" "|जो पानी से नहाता है वह लिबास बदलता है जो पसीने से नहाता है वह इतिहास बदलता है| √√√√√√" """"_ "कविता का शीर्षक_____" मां मेरा कसूर नहीं था "जय हिंद वंदे मातरम इंकलाब ज