Dear Home ki
अर्ज किया है
ये जो तेरे घर की दरों दीवार है
लगता है कुछ परेशां,और बीमार है
और कर नही, रही शिकायत मेरी मेरे,रकीबों से
लगता है ये भी तेरी तरहा ईमानदार है
और बरसो हो गए,उस के शहर को छोडे हुये मुझे
मगर आँखों मे उसके आज भी मेरा इन्तजार है
ये जो तेरे घर की दरों -दीवार है
by..............शायर गुमनाम (2.0)
©Ajay kumar jabdoliya
बहुत साल हो गए
#Home