White वो कत्ल करता रहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा जान | हिंदी कविता

"White वो कत्ल करता रहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा जाने कितना लहू बहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा ऊपरवाले के नाम पर अलग कर दिया उसने खो गया पता यहां वहां मेरा,मैं मुस्कुराता रहा अब फिर से चुनाव आ गए हैं,वो झूठा आ गया वो खुश है मजाक बना मेरा,मैं मुस्कुराता रहा चाहा बहुत उसे,दिन रात की खबर नही थी इश्क आखिर को मरा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा रोज़गार नही है,क्या करूं,मैं नौजवां इस मुल्क का वोटों के नाम रहा मुद्दा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा विद्यालय में पढ़ाई जा रही,धर्म की राजनीति हर बार राजनीतिकरण हुआ मेरा, मैं मुस्कुराता रहा अंधेर नगरी चौपट राजा,सुना था हमने कभी इससे था मन,मनमना मेरा, मैं मुस्कुराता रहा नीला,हरा,लाल,पीला,जाने कौन सा रंग है उसका उसने कोई एक रंग कहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा विज्ञान के मुताबिक,छः बार प्रलय आई है यहां मेरा तर्क बस रहा ज़रा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा ©IG @kavi_neetesh"

 White वो कत्ल करता रहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा
जाने कितना लहू बहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा

ऊपरवाले के नाम पर अलग कर दिया उसने
खो गया पता यहां वहां मेरा,मैं मुस्कुराता रहा

अब फिर से चुनाव आ गए हैं,वो झूठा आ गया 
वो खुश है मजाक बना मेरा,मैं मुस्कुराता रहा

चाहा बहुत उसे,दिन रात की खबर नही थी
इश्क आखिर को मरा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा

रोज़गार नही है,क्या करूं,मैं नौजवां इस मुल्क का
वोटों के नाम रहा मुद्दा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा

विद्यालय में पढ़ाई जा रही,धर्म की राजनीति 
हर बार राजनीतिकरण हुआ मेरा, मैं मुस्कुराता रहा

अंधेर नगरी चौपट राजा,सुना था  हमने कभी 
इससे था मन,मनमना मेरा, मैं मुस्कुराता रहा

 नीला,हरा,लाल,पीला,जाने कौन सा रंग है उसका
उसने कोई एक रंग कहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा

विज्ञान के मुताबिक,छः बार प्रलय आई है यहां
मेरा तर्क बस रहा ज़रा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा

©IG @kavi_neetesh

White वो कत्ल करता रहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा जाने कितना लहू बहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा ऊपरवाले के नाम पर अलग कर दिया उसने खो गया पता यहां वहां मेरा,मैं मुस्कुराता रहा अब फिर से चुनाव आ गए हैं,वो झूठा आ गया वो खुश है मजाक बना मेरा,मैं मुस्कुराता रहा चाहा बहुत उसे,दिन रात की खबर नही थी इश्क आखिर को मरा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा रोज़गार नही है,क्या करूं,मैं नौजवां इस मुल्क का वोटों के नाम रहा मुद्दा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा विद्यालय में पढ़ाई जा रही,धर्म की राजनीति हर बार राजनीतिकरण हुआ मेरा, मैं मुस्कुराता रहा अंधेर नगरी चौपट राजा,सुना था हमने कभी इससे था मन,मनमना मेरा, मैं मुस्कुराता रहा नीला,हरा,लाल,पीला,जाने कौन सा रंग है उसका उसने कोई एक रंग कहा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा विज्ञान के मुताबिक,छः बार प्रलय आई है यहां मेरा तर्क बस रहा ज़रा मेरा,मैं मुस्कुराता रहा ©IG @kavi_neetesh

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