दूर हो तुम फिर भी पास लगते हो अंधेरों में जलता
चिराग लगते हो, तुम्हें भुला ना सखी मेरी यही कमजोरी है,
एक बार तो मिलो मिलना बहुत जरूरी है, तुमने नही
समझा कभी मुझे अब कैसे समझाऊं मैं तुम्हे, तेरे बिना
तो मेरी हर कहानी ही अधूरी है
©Pradeep Kumar
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