दिल करता है घर से निकलकर एसे हि किसि वृक्ष कि छाव | हिंदी विचार

"दिल करता है घर से निकलकर एसे हि किसि वृक्ष कि छाव मे बैठा रहू कुछ देर दिल करता है किसी राज्य मे जाकर शिक्षा बाटूं दिल का कोना कोना कह रहा अनाथो,बेरोजगारो को भोजन दान करुं पर कहां सम्भव है बिना पैसो के.... .दिल करता है हर राज्य मे मेरी जय जय कार हो दिल करता है रतन टाटा जैसा मेरा संसार हो पर यह कहां तक सम्भव है बिन पैसो के..!! ©HARSHIT369"

 दिल करता है घर से निकलकर
एसे हि किसि वृक्ष कि छाव मे बैठा रहू कुछ देर
दिल करता है किसी राज्य मे जाकर शिक्षा बाटूं
दिल का कोना कोना कह रहा 
अनाथो,बेरोजगारो को भोजन दान करुं 
पर कहां सम्भव है बिना पैसो के....
.दिल करता है हर राज्य मे मेरी जय जय कार हो
दिल करता है रतन टाटा जैसा मेरा संसार हो
पर यह कहां तक सम्भव है बिन पैसो के..!!

©HARSHIT369

दिल करता है घर से निकलकर एसे हि किसि वृक्ष कि छाव मे बैठा रहू कुछ देर दिल करता है किसी राज्य मे जाकर शिक्षा बाटूं दिल का कोना कोना कह रहा अनाथो,बेरोजगारो को भोजन दान करुं पर कहां सम्भव है बिना पैसो के.... .दिल करता है हर राज्य मे मेरी जय जय कार हो दिल करता है रतन टाटा जैसा मेरा संसार हो पर यह कहां तक सम्भव है बिन पैसो के..!! ©HARSHIT369

#दिल कह रहा है नये अच्छे विचार

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