सफ़र.. मेरे महबूब संग..... | हिंदी कविता

"सफ़र.. मेरे महबूब संग..... हम चल तो दिये.. सावन के उस बहाव में...... कहां जाना है रे. मेरा साथी.... अब तुम ही बताओं. दूर नहीं. बस मेरे दिल तक.. आखरी सफ़र बस वही है, तुझे मैं तेरी आंखों में देखू.... क्यों कि सातों समुद्र की तट वही है..!! ©Dev Rishi"

 सफ़र.. मेरे महबूब संग.....














हम चल तो दिये.. सावन के उस बहाव में......
कहां जाना है रे. मेरा साथी.... अब तुम ही बताओं.

दूर नहीं. बस मेरे दिल तक.. आखरी सफ़र बस वही है, 
तुझे मैं  तेरी आंखों में देखू.... क्यों कि सातों समुद्र की तट वही है..!!

©Dev Rishi

सफ़र.. मेरे महबूब संग..... हम चल तो दिये.. सावन के उस बहाव में...... कहां जाना है रे. मेरा साथी.... अब तुम ही बताओं. दूर नहीं. बस मेरे दिल तक.. आखरी सफ़र बस वही है, तुझे मैं तेरी आंखों में देखू.... क्यों कि सातों समुद्र की तट वही है..!! ©Dev Rishi

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