हमने सब कुछ सोचा , सब कुछ चाहा, सब मिलता गया सहज ह

"हमने सब कुछ सोचा , सब कुछ चाहा, सब मिलता गया सहज ही, सपने देखे जितनी चादर , पर पैर कट गये पहले ही , ढकने को उन कटे पैर को , नई चादर भी मंगवाई गई, जश्न हुआ और खूब हुआ, जब नई चादर उढा़ई गई, हाथ भी थे दो , दो और थे, अफ़सोस उन्हे भी बांध दिया तब, जननी जनक नाम थे जिसके, उन हाथों को भी थाम दिया तब , मेरा क्या है कटे पैर पर, नयी चादर संग जी लूंगी, पर, स्वन देखना तुम चादर से लम्बे, शायद उनके आगे झुक जाये किस्मत निधि"

 हमने सब कुछ सोचा , सब कुछ चाहा,
सब मिलता गया सहज ही,
सपने देखे जितनी चादर ,
पर पैर कट गये पहले ही ,
ढकने को उन कटे पैर को ,
नई चादर भी मंगवाई गई,
जश्न हुआ और खूब हुआ,
जब नई चादर उढा़ई गई,
हाथ भी थे दो , दो और थे,
अफ़सोस उन्हे भी बांध दिया तब,
जननी जनक नाम थे जिसके,
उन हाथों को भी थाम दिया तब ,
मेरा क्या है कटे पैर पर,
नयी चादर संग जी लूंगी,
पर, स्वन देखना तुम चादर से लम्बे,
शायद उनके आगे झुक जाये किस्मत 


निधि

हमने सब कुछ सोचा , सब कुछ चाहा, सब मिलता गया सहज ही, सपने देखे जितनी चादर , पर पैर कट गये पहले ही , ढकने को उन कटे पैर को , नई चादर भी मंगवाई गई, जश्न हुआ और खूब हुआ, जब नई चादर उढा़ई गई, हाथ भी थे दो , दो और थे, अफ़सोस उन्हे भी बांध दिया तब, जननी जनक नाम थे जिसके, उन हाथों को भी थाम दिया तब , मेरा क्या है कटे पैर पर, नयी चादर संग जी लूंगी, पर, स्वन देखना तुम चादर से लम्बे, शायद उनके आगे झुक जाये किस्मत निधि

#stairs #Kismat

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