बहुत दिनों बाद मैंने अपनी डायरी और कलम उठायी लिखने को, लेकिन अचानक से सफेदी की चादर ओढ़े इन कागजी रास्तों में
जैसे ही मैंने अपनी कलम चलाई,
वो उन जगहों में जा ठहरी,
जहां कभी मेरा बसेरा हुआ करता था,
और देखो आज उन्हीं ठहरावों को,
जहां से मैं अपनी यादों को भी हठा चुका था,
वही अपना रैन बसेरा बनाना पड़ रहा है।।
©dpDAMS
#Diary_aur_kalam