एक बड़ी क्रांति स्त्री को इस मुल्क में लानी होगी, लेकिन कौन लाएगा ये? स्त्रियां न सोंचती हैं, न विचारती हैं, न इक्क्ठा हैं, न सामूहिक आवाज बनती हैं। रेप/बलात्कार तक का कैंडल मार्च तो पुरुष निकालते हैं। शायद पुरानी पीढ़ी नही कर सकेगी, लेकिन नई पीढ़ी की लड़कियां अगर कुछ हिम्मत जुटाएंगी तो ये क्रांति निश्चित हो सकती है।
#दंगल 2.0
©Aamir Akhtar
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