मैं हार नहीं सकती, खुद से हर बार बोलती हुं,
पर हर लम्हा हार रही ये मै जानती हुं
टुट कर बिखर रहा ,हर एक सपना मेरा,
पर टुटे सपनो के टुकड़े समेट ,हिम्मत जुटा रही हुं
महसूस होता है हर दर्द मुझे भी
और हर दर्द का हिसाब भी रखती हुं
जीतना हमारी फिदरत तो नहीं , और
शायद हमारी किस्मत में भी नहीं ,
पर जीतना हमारी जुनून में हैं
और अगर जुनून है तो,
किस्मत हो या फिदरत बदल ही जाती है
©Aruhi Priya
कविता
#rain