White बहारें जब आईं तो तुम्हारी याद आई,
सावन के पहले दिन तुमने जो जादू चलाया।
मौसम का रंग बदल गया, धरा ने छटा बिखेरी,
इंद्र देव भी आज तुम्हारे हुस्न पे बरस गए।
तुम्हारी हंसी में जैसे कोयल की कूक हो,
तुम्हारी आँखों में जैसे चाँदनी का नूर हो।
जब तुमने निगाहें उठाईं, जैसे बिजलियाँ चमक उठीं,
तुम्हारे जलवे देख इंद्र देव भी छम-छम नाच उठे।
फूलों की महक भी आज तुम्हारे पास हार मान गई,
तुम्हारी खुशबू में सारी कुदरत शरमा गई।
सावन के इस मौसम में तुम्हारी बात ही निराली है,
तुम हो तो ये बरसात भी प्यारी है।
तुम्हारे बिना ये सावन अधूरा है,
तुम ही हो जो इसे पूरा कर देती हो।
तेरे बिना हर बारिश बेकार है,
तू हो तो हर मौसम में बहार है।
✍ करन मेहरा
©Karan Mehra
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