भीषण गर्मी होश उड़ा रही है। तन मन का जोश बूझा रही | हिंदी Poetry Video

"भीषण गर्मी होश उड़ा रही है। तन मन का जोश बूझा रही है लगता है बेहोश कर देगा। तापमान से खामोश कर देगा। चिलचिलाती धूप चिढ़ा रही है। तन मन का क्रोध बढ़ा रही हैं। लगता है ताल भूनकर कर ही छोड़ेंगी। भस्म करके ही प्रण तोड़ेगी। भीषण गर्मी भयंकर रूप लें रही है। लोगों को भविष्य के लिए संदेश दें रही है। पेड़ पौधे लगाओ पर्यावरण बचाओ। नहीं तो आगे बहुत पछताओगे। नहीं संभले तो हाथ मलते रह जाओगे। ©Narendra kumar "

भीषण गर्मी होश उड़ा रही है। तन मन का जोश बूझा रही है लगता है बेहोश कर देगा। तापमान से खामोश कर देगा। चिलचिलाती धूप चिढ़ा रही है। तन मन का क्रोध बढ़ा रही हैं। लगता है ताल भूनकर कर ही छोड़ेंगी। भस्म करके ही प्रण तोड़ेगी। भीषण गर्मी भयंकर रूप लें रही है। लोगों को भविष्य के लिए संदेश दें रही है। पेड़ पौधे लगाओ पर्यावरण बचाओ। नहीं तो आगे बहुत पछताओगे। नहीं संभले तो हाथ मलते रह जाओगे। ©Narendra kumar

#SunSet

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