वक्त कितना अजीब आया है फिर वो मेरे करीब आया है | हिंदी शायरी

"वक्त कितना अजीब आया है फिर वो मेरे करीब आया है देखकर मेरी बदनसीबी को ज़र बिना प्यार की गरीबी को बन के मेरा नसीब आया है कल हमें दिल का दर्द दे के गया अपनी उल्फ़त का मर्ज दे के गया आज बनकर तबीब आया है बेअदद अश्क़ बन दुआ जैसे माँग लाये हों ख़ुद ख़ुदा जैसे या ख़ुदा का हबीब आया है वक्त कितना अजीब आया है फिर वो मेरे करीब आया है ©अज्ञात"

 वक्त कितना अजीब आया है 
फिर वो मेरे करीब आया है 

देखकर मेरी बदनसीबी को 
ज़र बिना प्यार की गरीबी को 
बन के मेरा नसीब आया है 

कल हमें दिल का दर्द दे के गया 
अपनी उल्फ़त का मर्ज दे के गया 
आज बनकर तबीब आया है 

बेअदद अश्क़ बन दुआ जैसे 
माँग लाये हों ख़ुद ख़ुदा जैसे 
या ख़ुदा का हबीब आया है 

वक्त कितना अजीब आया है 
फिर वो मेरे करीब आया है

©अज्ञात

वक्त कितना अजीब आया है फिर वो मेरे करीब आया है देखकर मेरी बदनसीबी को ज़र बिना प्यार की गरीबी को बन के मेरा नसीब आया है कल हमें दिल का दर्द दे के गया अपनी उल्फ़त का मर्ज दे के गया आज बनकर तबीब आया है बेअदद अश्क़ बन दुआ जैसे माँग लाये हों ख़ुद ख़ुदा जैसे या ख़ुदा का हबीब आया है वक्त कितना अजीब आया है फिर वो मेरे करीब आया है ©अज्ञात

#Life

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