छा गई है हर तरफ महामारी
अंधी बहिरी लाचार हैं सरकारें
जीने की सामानों की है कालाबाजारी
मौत के बाद भी शमशानो मे अधजली लाशे
बाजार बंद मजदुरी को तरसते मजदुर
भुके पेट सत्ता के लालचियों से आस लगाए हैं
क्यूं ना करे घरों से निकलकर करे बगावत हम
जब घरमे भूक से बिलकते बच्चो की है चिखे ।
विजय वि गजबे
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