White कहाँ तलाशूँ में सुकून… कहाँ तलाशूँ में सुक | हिंदी Poetry

"White कहाँ तलाशूँ में सुकून… कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । कभी-कभी दौड़ पड़ता हूँ , अकेला किसी ख़ाली सुनसान रोड पर , मोह कुछ पल के लिए जब , मैं इस संसार से तोड़ देता हूँ । मुझे प्रकृति से प्यार हो गया है जैसे , मुझे संगीत से लगाव हो गया है जैसे, मुझे तालाबों, पोखरों , के पास बैठना अच्छा लगने लगा है । जब देखता हूँ लोगों के दोहरे स्वभाव को , एक में प्यार , दूसरे में ईर्ष्या का भाव को , मुझे ख़ुद से प्यार करने के सिवा , नहीं लोगों का साथ सच्चा लगने लगा है । मैं नहीं करता बहस लोगों से अब, वो जैसा सोचे मेरे बारे में, मैं वैसा उनकी सोच पर उन्हें छोड़ देता हूँ । कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । ©Ravindra Singh "

White कहाँ तलाशूँ में सुकून… कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । कभी-कभी दौड़ पड़ता हूँ , अकेला किसी ख़ाली सुनसान रोड पर , मोह कुछ पल के लिए जब , मैं इस संसार से तोड़ देता हूँ । मुझे प्रकृति से प्यार हो गया है जैसे , मुझे संगीत से लगाव हो गया है जैसे, मुझे तालाबों, पोखरों , के पास बैठना अच्छा लगने लगा है । जब देखता हूँ लोगों के दोहरे स्वभाव को , एक में प्यार , दूसरे में ईर्ष्या का भाव को , मुझे ख़ुद से प्यार करने के सिवा , नहीं लोगों का साथ सच्चा लगने लगा है । मैं नहीं करता बहस लोगों से अब, वो जैसा सोचे मेरे बारे में, मैं वैसा उनकी सोच पर उन्हें छोड़ देता हूँ । कहाँ तलाशूँ में सुकून , सुकून की तलाश में कभी-कभी, मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ । ©Ravindra Singh

कहाँ तलाशूँ में सुकून…

#sad_shayari

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