लिफाफों से निकले हर खत मैंने पढ़े हैं
जज़्बातों के इंतज़ार हर दिन मिटते देखे हैं
कैसी मजबूरी है ये केसी पहेली,
नायब नगमा कहूँ या दिल की सफाई
दर्द का पहर कहूँ या आँसुओं की अगुवाई
अंजाम ये कैसा करिश्मा करवाएगा
इंतज़ार का सिलसिला कब रंग लाएगा
मोहलत तो दे मौला!!
कुछ कर गुजरने की
जंजीर तो खोल ऐ खुदा!!
मोहब्बत को पा लेने की
लिफाफों से निकले हर खत मैने पढ़े हैं
तेरे बहते आँसूओं के दर्द मैंने सहे हैं।।
#खत #मोहब्बत #ज़िन्दगी😊